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झारखण्ड का गौरवशाली इतिहास।

प्रागैतिहसिक काल में झारखण्ड।

पुरातात्विक खुदाई में मिले साक्ष्यों से प्रागैतिहसिक काल में झारखण्ड क्षेत्र में मानव विकास की जानकारी मिलती है। झारखंड के कुछ भागों में गुफा चित्र, 'पत्थर की कला' और 'शैलवर्णना' और भूवैज्ञानिक समय बीतने का भी संकेत है। प्राचीन सभ्यता में हड़प्पा की मौजूदगी का भी प्रमाण है। इन सभी प्रमाणों के बावजुद झारखंड के प्राचीन इतिहास के कई रहस्यों को समय के गर्भ से निकालना अभी शेष है। झारखण्ड शब्द का उल्लेख 13वीं शताब्दी के एक ताम्रपत्र में किया गया है। झारखण्ड क्षेत्र का सर्वप्रथम उल्लेख ऐतरेय ब्राम्ह्ण में ‘पुण्ड’ के नाम से तथा महाभारत काल में छोटानागपुर का सम्बोधन ‘पुंडरीक’ नाम से मिलता है। ऋगवेद में ‘कीकट’ प्रदेश का उल्लेख मिलता है जो गिरिडिह जिले के पारसनाथ के पहाडियों में मौजुद है।

दुसरी शताब्दी के निकट साम्राज्यों का उत्थान।

दुसरी शताब्दी के निकट मुंडा सम्राट से साम्राज्य हासिल करने के पश्चात् झारखण्ड में शाह देव के शासन की नींव रखी गई। यह स्थान आज भी झारखण्ड की मौजुदा समय में राजधानी राँची से 15 क़ि0मी0 दुर ‘रातु’ में स्थित है। उनकी पहली राजधानी सुतियाम्बें थी जो मौजुदा समय में राजधानी राँची से 23 क़ि0मी0 दुर रांची-पतरातु मार्ग पर स्थित है। इसके पश्चात यहाँ के शासक राजा फनीमुकुट राय थे। भारत को ब्रिटीश शासन से स्वतंत्र होने तक इनके वंशजों ने लगभग 2000 सालों तक यहाँ शासन किया। इस दरमयान मुण्डा आदिवासी शासन भी फलती फुलती रहीं जो आज भी मौजुद हैं। मुण्डा झारखण्ड प्रदेश की एक प्रमुख आदिवासी है। इस जनजाति का मूल स्थान दक्षिणी छोटा नागपुर है।

मुगलकाल में झारखण्ड क्षेत्र।

मुगलकाल में झारखण्ड क्षेत्र को खुकरा के नाम से जाना जाता था। मुगल शासक जहाँगीर की आत्मकथा तुजुके जहाँगीरी में झारखण्ड को सोने की प्राप्ति वाला क्षेत्र कहा गया है। 1765 ई0 में झारखण्ड में ईसाई साम्प्रदाय का प्रवेश हुआ। इस समय छोटानागपुर में जमींदारों का जनजातियों की जमीनों पर कब्जा, द्खलंदाजी और शोषण चरम सीमा पर था इसके फलस्वरुप 1789 ई0 में तमाड़ विद्रोह शुरु हुआ जो उरांव जनजाति के द्वारा तत्कालिन जमींदारों के विरुद्ध किया गया था यह विद्रोह 1794 ई0 तक चला। तमाड़ विद्रोह का मुख्य क्ष्रेत्र छोटानापुर ही था। 

सारांश

इतिहास के पन्नों पर बारिक दृष्टि डालने पर यह पता चलता है कि प्राचिनकाल से झारखण्ड एक महत्वपुर्ण क्षेत्र रहा है और समय के बहाव के साथ यह मानव विकास और उसकी महत्वकांक्षा का केंद्रबिंदु भी रहा है। हमें इसकी प्राचीन इतिहास और परम्परा पर गर्व है।


जारी रहेगा...


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झारखण्ड का गौरवशाली इतिहास - 2

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