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ए. आर. रहमान - संगीत के जादुगर । A. R. Rahman – Mozart of Madras

ए. आर. रहमान - संगीत के जादुगर । 

ए. आर. रहमान का पुरा नाम अल्लारखा रहमान है । यह नाम एक ऐसे शख्स का है जिन्होंने अपनी जादुई संगीत की कला से न केवल हिन्दीभाषी और भारतीयों का बल्कि पुरी दुनिया का दिल जीत लिया है । वह एक संगीतकार व गायक हैं । उनके गानों का संगीत भारतीय फिल्म जगत के सभी संगीतकारों से भिन्न है जो उन्हें एक अलग पहचान देता है । उनकी शैली की श्रेणी में वो अकेले संगीतकार है और यह उनके द्वारा रचित गानों को सुनकर महसुस किया जा सकता है ।

A. R. Rahman – Mozart of Madras

A. R. Rahman – Mozart of Madras



वे जितने बेहतरीन संगीतकार हैं उतने ही लाजवाब गायक भी है, उनकी आवाज में सुफी अंदाज़ और सगींत में दक्षिण भारतीय खनक का अनोखा संगम उनके गानों को और भी कर्णप्रिय बना देता है । टाइम्स पत्रिका ने उन्हें मोज़ार्ट ऑफ मद्रास की उपाधि दी है ।



दो ऑस्कर से सम्मानित ए. आर. रहमान पहले भारतीय संगीतकार है जिन्हें गोल्डेन ग्लोब अवार्ड से नवाज़ा किया गया है । ए. आर. रहमान ने हिन्दी और तमिल  के अलावा और भी कई भाषाओं की फिल्मों में मधुर संगीत दिया है । रहमान पहले भारतीय संगीतकार है जिन्हें ब्रिटिश-भारतीय फिल्म 'स्लमडॉग मिलेनियर' में उनके संगीत के लिए ऑस्कर नामांकन हासिल हुए और इसी फिल्म के गीत 'ज़य हो' के लिए सर्वश्रेष्ठ साउंडट्रैक कम्पाईलेशन और सर्वश्रेष्ठ फिल्मी गीत की श्रेणी में दो ऑस्कर पुरस्कार मिले ।
प्रस्तुत है ए. आर. रहमान से जुड़ी कुछ रोचक तथ्य जिनके बारें में कम ही लोग जानते हैं -

1. ए. आर. रहमान का जन्म 6 जनवरी 1967 को मद्रास (वर्तमान चेन्नई), तमिलनाडु, भारत में हुआ । जन्म के समय उनका पुरा नाम 'अरुणाचलम् शेखर दिलीप कुमार मुदलियार' (ए.एस.दिलीप कुमार) था । रहमान को संगीत अपने पिता से विरासत में मिली है । उनके पिता राजगोपाल कुलशेखर (आर. के. शेखर) मलयाली फिल्मों में संगीत देते थे।

2. रहमान जब 9 साल के थें, तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी । पिता की मृत्यु के बाद उनके घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई थी । इसलिए पिता के वाद्य यंत्रों को किराये पर चला कर घर का ग़ुज़ारा चलता था और पैसों के लिए घरवालों को म्यूजिकल उपकरण तक बेचने पड़े थे ।

3. मात्र 11 साल की उम्र में रहमान ने अपने बचपन के मित्रों शिवमणि, जॉन एंथोनी, सुरेश पिटर, जो-जो और राजा के साथ मिलकर बैंड 'रूट्स' की शुरुआत की जिसमें उन्होंने बैंड के लिए की-बोर्ड (सिंथेसाइजर) बजाने का काम शुरू किया । बैंड ग्रुप में काम करते हुए ही उन्हें लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ म्यूजिक से स्कॉलरशिप भी मिली, जहां से उन्होंने पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में डिग्री हासिल की ।

4. ए.आर. रहमान को एक रिकॉर्ड प्‍लेयर ऑपरेट करने के एवज में पहली सैलरी के रूप में इन्‍हें 50 रुपये मिले थे । शुरुआत में रहमान डॉक्युमेट्री फिल्म के बैकग्राउंड स्कोर दिया करते थे और भारतीय टेलीविज़न पर दिखाए जाने वाले विज्ञापनों के लिए जिंगल्स ट्युंस दिया करते थे । उन्होंने 'आल्विन' घड़ी के  विज्ञापन के लिये जिंगल्स दिये जो काफि मशहुर हुए । आज भी हम 'टाईटन' घड़ी और 'एयरटेल' की जिस मधुर जिंगल्स को हम सुनते है, वह रहमान के द्वारा बनाई गयी है ।

5. उनके नाम बदलने को लेकर कई बातें कही जाती है जैसे कि एक बार रहमान की छोटी बहन के बीमार पड़ने पर इन्‍होंने मस्जिदों में दुआयें मांगी और बहन चमत्कारिक रूप से स्वस्थ हो गई, इस चमत्कार को देख रहमान ने इस्लाम कबूल कर लिया।

6. दूसरी बात कही जाती है कि इन्‍हें ज्‍योतिषियों ने नाम बदलने की सलाह दी थी  एक और बात कही जाती है कि पिता की मौत के बाद कट्टरपंथियों ने इन्‍हें परेशान करना शुरु कर दिया था। जिसकी वजह से ऐसा हुआ। स्कूल में कम अटेंडेंस होने के चलते एआर रहमान को 15 साल की उम्र में ही स्कूल से निकाल दिया गया था । ए.आर. रहमान कंप्यूटर इंजीनियर बनना चाहते थें, लेकिन म्यूजिक के प्रति अधिक लगाव की वजह से वे उस क्षेत्र कदम नहीं रख पाये ।

7. रहमान रात के वक्‍त कंपोजिंग करना पसंद करते हैं ताकि कोई फोन कॉल्स उन्हें डिस्‍टर्ब न कर सके । बचपन में एक बार रहमान दूरदर्शन के 'वंडर बलून' कार्यक्रम में नजर आए थे और एक साथ चार की बोर्ड प्‍ले कर सकने वाले बच्‍चे के रूप में लोकप्रिय हो गए थे ।

8. नवंबर 2013 में कनाडा के ओंटारियो में रहमान के सम्‍मान में एक स्‍ट्रीट का नाम उनके नाम पर रखा गया । एक ही सीजन में दो ऑस्‍कर पाने वाले वो पहले एशियन हैं ।

9. 1992 में मणिरत्नम् की फिल्म रोजा में उन्होंने मधुर संगीत दिया था, जिसके लिए रहमान जो नेश्नल फिल्म अवार्ड में सर्वश्रेष्ठ म्युज़िक डाइरेक्टर के लिए रजत कमल पुरस्कार मिला ।

10. रहमान ने हिंदी फिल्म के लिए शुद्ध रुप से पहली बार राम गोपाल वर्मा की बॉलीवुड फिल्म 'रंगीला' में संगीत दिया जो काफी पसंद किया गया । इसके बाद मणिरत्नम् की फिल्म 'दिल से' और सुभाष घई की 'ताल' का भी संगीत बहुत लोकप्रिय हुआ ।

सामान्य ज्ञान -
प्रश्न : ए. आर. रहमान को 'मोज़ार्ट ऑफ मद्रास' क्यों कहा जाता है ?
उत्तर : वुल्फगैंग अमेडियस मोज़ार्ट एक प्रसिद्ध, प्रतिभावान और प्रभाव शाली जर्मन पाश्चात्य शास्त्रीय संगीतज्ञ थे । उन्होने लगभग 600 संगीत रचनाएँ की । शास्त्रीय संगीतकारों में वे सर्वाधिक लोकप्रिय हैं । उन्हीं के नाम पर ए. आर. रहमान को 'मोज़ार्ट ऑफ मद्रास' कहा जाता है । यह नाम उन्हें टाइम्स पत्रिका ने दिया था ।

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