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पलामु किला : झारखण्ड का ऐतिहासिक गौरव |

परिचय


पलामु किला झारखण्ड राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक इमारत है। घने जंगलों के बीच हरी चादर ओढ़े यह किला समय की चोट खाकर अब जर्जर हो चुका है। इस किले के दो भाग हैं एक भाग जो समतल भुभाग पर स्थित है, पुराने किले जाना जाता है और दुसरा भाग जो इसी समतल भुभाग से संलग्न पहाडियों पर स्थित है, नये किले के नाम से जाना जाता है। इस किले की दशा को देख कर ऐसा प्रतित होता है मानो जैसे समय ने इसकी कडी परीक्षा ली हो और इसकी बुढ़ी दिवारें हिम्म्त हारने का नाम न ले रहीं हों। घने जंगल इन किलों को निंगल जाने को आतुर हैं फिर भी पलामु किला अपने अतिथि पर्यटकों की प्रतीक्षा में शान से खडा है।


नाम पलामु किला
वर्ग  ऐतिहासिक इमारत एवं स्थल
राज्य  झारखण्ड
स्थान  पलामु
कॉ-ऑर्डिनेट्स  23.89492810 उत्तर, 84.22750210 पुर्व
स्थान का प्रकार  पर्यटन स्थल

पलामु किला झारखण्ड


स्थान


पलामु किला डाल्टनगज़ शहर से लगभग 30 कि0मी0 दुर दक्षिण-पुर्व दिशा में स्थित है और सामान्य यातायत की स्थिति में लगभग 60 मिनटों में यात्रा पुरी की जा सकती हैं। डाल्टनगज़ पलामु जिला एवं प्रमण्डल का प्रमुख शहर है। यहां से पलामु किला पहुंचने के लिये आसानी से यात्रा के साधन किराये पर लिये जा सकते हैं। पलामु किला तक जानें के लिए आधी यात्रा NH39 पर की जाती है और बाकि की यात्रा बेतला नेशनल पार्क़ रोड पर की जाती है। यह किला औरंगा नदी के किनारे स्थित है जो झारखण्ड के प्रमुख नदियों में एक कोयल नदी के उत्तरी प्रवाह से फुट कर बनी है।

पलामु किला झारखण्ड मार्ग

इतिहास 


पलामु किला के पुराने दुर्ग का निर्माण रक्सल राजपुत वंश के राजाओं के द्वारा करवाया गया। रक्सल राजपुत वंश के पतन के बाद चिरो वंश का उदय हुआ और चिरो वंश के शासक राजा मेदिनि राय के द्वारा नये दुर्ग का निर्माण कराया गया। राजा मेदिनि राय ने 1662ई0 से 1674ई0 तक शासन किया और उसने पुराने किले का भी नवनिर्माण सुरक्षा के दृष्टिकोण से कराया था। राजा मेदिनि राय ने अपने साम्राज्य का विस्तार दक्षिणी गया और हज़ारीबाग़ तक किया। उसने डोईसागढ़ पर आक्रमण किया। प्राचीन डोईसागढ़ के भवन और उसका वैभवशाली इतिहास आज वर्ल्ड हेरिटेज में शुमार है। डोईसागढ़ पर आक्रमण करके राजा मेदिनि राय ने वहां के महाराजा को हराया और युद्ध में विजयी होने की खुशी में सत्बरवा के निकट पहाडी के निचले हिस्से में नया दुर्ग बनवाया और यह दुर्ग  इतिहास के पन्नों में अमर हो गया।

विश्व के प्राचीन विरासत में शुमार हैं गुमला स्थित डोईसागढ़, पर विकास से अछुता ।



अंतत:


पलामु किला की दिवारें जर्जर हो चुकी हैं साथ ही वक्त ने भी इस पर नक्काशी खुब की है जिससे इसकी खुबसुरती देखते ही बनती है। वास्तव में पलामु किला केवल एक इमारत ही नहीं बल्कि यह उन शासकों के गौरवशाली और समृद्धशाली इतिहास का आखरी गवाह भी है जिन्होंने यहां शासन किया।

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