गुड्स एंड सर्विसेस
टैक्स यानि GST से जुड़े चार् बिल लोकसभा से बुधवार को पास हो गए। अब GST का 1 जुलाई से लागू होना तय माना जा रहा है। फाइनेंस सेक्रेटरी अशोक लवासा ने
एसोचैम के प्रोग्राम में कह भी दिया कि इंडस्ट्री को 1 जुलाई के हिसाब से तैयारी कर लेनी चाहिए। हालांकि, सरकार ने बिल में प्रोविजन्स को अलग-अलग तारीखों पर लागू करने की बात रखी है।
नए बिल में केंद्र और राज्य मिलकर मैक्सिमम 40% तक टैक्स लगा सकते हैं। रिटर्न तीन महीने
के बदले हर महीने भरना होगा। साथ ही टैक्स चोरी या गलत रिफंड जैसे मामलों में दोषी
पाए जाने पर 5 साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।
जीएसटी से जुड़ी बहुत सी बातें नियम तय होने के बाद साफ होंगी। इसके लिए 31 मार्च को काउंसिल की बैठक होनी है।
टैक्स यानि GST से जुड़े चार् बिल लोकसभा से बुधवार को पास हो गए। अब GST का 1 जुलाई से लागू होना तय माना जा रहा है। फाइनेंस सेक्रेटरी अशोक लवासा ने
एसोचैम के प्रोग्राम में कह भी दिया कि इंडस्ट्री को 1 जुलाई के हिसाब से तैयारी कर लेनी चाहिए। हालांकि, सरकार ने बिल में प्रोविजन्स को अलग-अलग तारीखों पर लागू करने की बात रखी है।
नए बिल में केंद्र और राज्य मिलकर मैक्सिमम 40% तक टैक्स लगा सकते हैं। रिटर्न तीन महीने
के बदले हर महीने भरना होगा। साथ ही टैक्स चोरी या गलत रिफंड जैसे मामलों में दोषी
पाए जाने पर 5 साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।
जीएसटी से जुड़ी बहुत सी बातें नियम तय होने के बाद साफ होंगी। इसके लिए 31 मार्च को काउंसिल की बैठक होनी है।
बिल के पास होने के
बाद 1 जुलाई से जीएसटी लागू होने की उम्मीद है। वन
नेशन-वन टैक्स की 17
साल से जारी टैक्स रिफॉर्म की कोशिश
कामयाब होगी। सबसे पहले वाजपेयी सरकार ने 2000 में GST के बारे में सोचा था। GST के लागु होने के बाद 20 से ज्यादा इनडायरेक्ट टैक्स खत्म होंगे।
ये देश के लिए ऐतिहासिक होगा।
बाद 1 जुलाई से जीएसटी लागू होने की उम्मीद है। वन
नेशन-वन टैक्स की 17
साल से जारी टैक्स रिफॉर्म की कोशिश
कामयाब होगी। सबसे पहले वाजपेयी सरकार ने 2000 में GST के बारे में सोचा था। GST के लागु होने के बाद 20 से ज्यादा इनडायरेक्ट टैक्स खत्म होंगे।
ये देश के लिए ऐतिहासिक होगा।
अभी तक केंद्र और
राज्य ज्यादातर टैक्स अलग-अलग वसूलते हैं। कुछ केंद्रीय टैक्स में से राज्यों
को भी हिस्सा मिलता है। GST के लागु होने के बाद
केंद्र को किसी भी प्रोडक्ट या सर्विस पर मैक्सिमम 20% टैक्स लेने का हक
होगा। राज्य भी केंद्र के बराबर टैक्स वसूलेंगे। यानी दोनों मिलकर किसी प्रोडक्ट
या सर्विस पर 40% तक टै क्स
तय कर सकते हैं।
राज्य ज्यादातर टैक्स अलग-अलग वसूलते हैं। कुछ केंद्रीय टैक्स में से राज्यों
को भी हिस्सा मिलता है। GST के लागु होने के बाद
केंद्र को किसी भी प्रोडक्ट या सर्विस पर मैक्सिमम 20% टैक्स लेने का हक
होगा। राज्य भी केंद्र के बराबर टैक्स वसूलेंगे। यानी दोनों मिलकर किसी प्रोडक्ट
या सर्विस पर 40% तक टै क्स
तय कर सकते हैं।
शराब GST से बाहर है। पेट्रोल, डीजल, गैस शामिल हैं। राज्य
अभी मौजूदा व्यवस्था के तहत ही टैक्स वसूलेंगे। काउंसिल की रजामंदी के बाद इन पर
जीएसटी लगेगा।
अभी मौजूदा व्यवस्था के तहत ही टैक्स वसूलेंगे। काउंसिल की रजामंदी के बाद इन पर
जीएसटी लगेगा।
ई कॉमर्स कम्पनईयाँ भी
GST के दायरे में होगी। सरकार को ई-कॉमर्स कंपनियों की सर्विसेस पर टैक्स लगाने का हक होगा। अगर
कंपनी का ऑफिस नहीं है तो उसका रिप्रेजेंटेटिव टैक्स चुकाएगा। रिप्रेजेंटेटिव नहीं
है तो कंपनी को उसे अप्वाइंट करना पड़ेगा। अभी तक के टैक्स सिस्ट्म में यह साफ नहीं
है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को सप्लाई की जगह टैक्स लगे या डिलीवरी की
जगह। राज्य अपने हिसाब से टैक्स लगा रहे हैं।
GST के दायरे में होगी। सरकार को ई-कॉमर्स कंपनियों की सर्विसेस पर टैक्स लगाने का हक होगा। अगर
कंपनी का ऑफिस नहीं है तो उसका रिप्रेजेंटेटिव टैक्स चुकाएगा। रिप्रेजेंटेटिव नहीं
है तो कंपनी को उसे अप्वाइंट करना पड़ेगा। अभी तक के टैक्स सिस्ट्म में यह साफ नहीं
है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को सप्लाई की जगह टैक्स लगे या डिलीवरी की
जगह। राज्य अपने हिसाब से टैक्स लगा रहे हैं।
छोटे कारोबारीयों के
लिए अभी तक मैन्युफैक्चरर के लिए कोई कंपोजीशन स्कीम नहीं है। GST के लागु होने के बाद सालाना 50 लाख टर्नओवर वाले मैन्युफैक्चरर टर्नओवर के 1% और सप्लायर 2.5% टैक्स दे सकते हैं। अगर ज्यादा टर्नओवर वाला व्यक्ति इस नियम के तहत टैक्स
भरता है तो उस पर पेनाल्टी लगेगी।
लिए अभी तक मैन्युफैक्चरर के लिए कोई कंपोजीशन स्कीम नहीं है। GST के लागु होने के बाद सालाना 50 लाख टर्नओवर वाले मैन्युफैक्चरर टर्नओवर के 1% और सप्लायर 2.5% टैक्स दे सकते हैं। अगर ज्यादा टर्नओवर वाला व्यक्ति इस नियम के तहत टैक्स
भरता है तो उस पर पेनाल्टी लगेगी।
कर्मचारी को 50 हजार रु. से ज्यादा का गिफ्ट दिया तो उस पर भी
टैक्स लगेगा । नियोक्ता कर्मचारी को साल में 50 हजार रु. तक का वस्तु या सेवा गिफ्ट करता है तो उसे
‘सप्लाई’
नहीं माना जाएगा। उस पर टैक्स नहीं लगेगा।
अगर इसकी कीमत 50
हजार से ज्यादा हुई तो टैक्स लगेगा। फ्री
लंच, कार ड्रॉप, कर्मचारी के बच्चों को स्कॉलरशिप जैसी सुविधाएं इसमें शामिल हो सकती हैं।
टैक्स लगेगा । नियोक्ता कर्मचारी को साल में 50 हजार रु. तक का वस्तु या सेवा गिफ्ट करता है तो उसे
‘सप्लाई’
नहीं माना जाएगा। उस पर टैक्स नहीं लगेगा।
अगर इसकी कीमत 50
हजार से ज्यादा हुई तो टैक्स लगेगा। फ्री
लंच, कार ड्रॉप, कर्मचारी के बच्चों को स्कॉलरशिप जैसी सुविधाएं इसमें शामिल हो सकती हैं।
एक्साइज ड्यूटी, एडिशनल एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम ड्यूटी, स्पेशल एडिशनल कस्टम ड्यूटी सेंट्रल टैक्स
और वैट, ऑक्ट्रॉय,
एंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लक्जरी टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स जैसे राज्यों के टैक्स जीएसटी में
शामिल होंगे।
और वैट, ऑक्ट्रॉय,
एंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लक्जरी टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स जैसे राज्यों के टैक्स जीएसटी में
शामिल होंगे।
अगर किसी कारोबारी ने
लेनदेन की जानकारी छिपाई या इनपुट टैक्स क्रेडिट ज्यादा क्लेम किया तो ज्वाइंट
कमिश्नर या ऊपर का अधिकारी जांच का आदेश दे सकता है। गिरफ्तारी का आदेश कम से कम
कमिश्नर स्तर का अफसर ही दे सकता है। जैसा की अभी भी हो रहा है एक्साइज में
एडजुडिकेशन असिस्टेंट कमिश्नर, वैट में असिस्टेंट सेल्स टैक्स अफसर से
शुरू होता है।
लेनदेन की जानकारी छिपाई या इनपुट टैक्स क्रेडिट ज्यादा क्लेम किया तो ज्वाइंट
कमिश्नर या ऊपर का अधिकारी जांच का आदेश दे सकता है। गिरफ्तारी का आदेश कम से कम
कमिश्नर स्तर का अफसर ही दे सकता है। जैसा की अभी भी हो रहा है एक्साइज में
एडजुडिकेशन असिस्टेंट कमिश्नर, वैट में असिस्टेंट सेल्स टैक्स अफसर से
शुरू होता है।
बिना इनवॉयस के सप्लाई,
गलत इनवॉयस, टैक्स लेकर 3 महीने में जमा नहीं करना, गलत तरीके से
टैक्स क्रेडिट या रिफंड लेना, खातों में
हेरा-फेरी,
टर्नओवर कम
बताना अपराध होगा। इन पर कम से कम 10,000 रु. जुर्माना। अपराध में मदद करने वालों पर 25,000 रु. तक जुर्माना। रिटर्न से जुड़ी जानकारी तय
समय में नहीं देने पर 5,000
रु. तक जुर्माना
लगेगा। गलत जानकारी देने पर 25,000 रु. तक जुर्माना लग सकता है।
अभी तो 300% तक पेनाल्टी है।
नए नियम में अधिकतम पेनाल्टी कितनी होगी यह तय होना बाकी है।
गलत इनवॉयस, टैक्स लेकर 3 महीने में जमा नहीं करना, गलत तरीके से
टैक्स क्रेडिट या रिफंड लेना, खातों में
हेरा-फेरी,
टर्नओवर कम
बताना अपराध होगा। इन पर कम से कम 10,000 रु. जुर्माना। अपराध में मदद करने वालों पर 25,000 रु. तक जुर्माना। रिटर्न से जुड़ी जानकारी तय
समय में नहीं देने पर 5,000
रु. तक जुर्माना
लगेगा। गलत जानकारी देने पर 25,000 रु. तक जुर्माना लग सकता है।
अभी तो 300% तक पेनाल्टी है।
नए नियम में अधिकतम पेनाल्टी कितनी होगी यह तय होना बाकी है।
टैक्स चोरी,
गलत टैक्स
क्रेडिट या गलत रिफंड की रकम 5 करोड़ रु. से
ज्यादा है तो 5
साल तक की जेल
और जुर्माना दोनों हो सकता है। यह रकम 2 से 5
करोड़ रु. के बीच
है तो 3
साल जेल और
जुर्माना होगा। रकम 1
से 2 करोड़ के बीच है तो 1 साल जेल और जुर्माना लगेगा।
गलत टैक्स
क्रेडिट या गलत रिफंड की रकम 5 करोड़ रु. से
ज्यादा है तो 5
साल तक की जेल
और जुर्माना दोनों हो सकता है। यह रकम 2 से 5
करोड़ रु. के बीच
है तो 3
साल जेल और
जुर्माना होगा। रकम 1
से 2 करोड़ के बीच है तो 1 साल जेल और जुर्माना लगेगा।
दूसरी या उससे ज्यादा बार गलती पकड़े जाने पर 5 साल तक जेल और जुर्माना लगेगा। गलती कंपनी की है तो कंपनी के साथ उसके प्रमुख
को भी दोषी माना जाएगा और सजा होगी। इनमें कंपनी के डायरेक्टर भी शामिल होंगे।
ट्रस्ट के मामलों में मैनेजिंग ट्रस्टी और या एलएलपी के पार्टनर जिम्मेदार होंगे।
अभी वैट नियम में जेल की सजा का प्रावधान नहीं
है। डायरेक्टर या कंपनी प्रमुख को सजा का नियम अब भी है।
को भी दोषी माना जाएगा और सजा होगी। इनमें कंपनी के डायरेक्टर भी शामिल होंगे।
ट्रस्ट के मामलों में मैनेजिंग ट्रस्टी और या एलएलपी के पार्टनर जिम्मेदार होंगे।
अभी वैट नियम में जेल की सजा का प्रावधान नहीं
है। डायरेक्टर या कंपनी प्रमुख को सजा का नियम अब भी है।
GST प्रोडक्ट या सर्विस की सप्लाई के वक्त देना होगा। सप्लाई या पेमेंट की तारीख
में से जो पहले होगा, उसे माना जाएगा।
वैल्यू में टैक्स, ड्यूटी, सेस, फीस, कमीशन, ब्याज या लेट फीस और
सब्सिडी भी शामिल होंगे।
में से जो पहले होगा, उसे माना जाएगा।
वैल्यू में टैक्स, ड्यूटी, सेस, फीस, कमीशन, ब्याज या लेट फीस और
सब्सिडी भी शामिल होंगे।
बिल जारी होने के बाद टैक्स रेट बदला और पैसे रेट बदलने के बाद मिले तो पुराना
रेट लगेगा। पैसे रेट बदलने से पहले मिल गए और इनवॉयस बाद में जारी हुआ तो नए रेट
से टैक्स लगेगा।
रेट लगेगा। पैसे रेट बदलने से पहले मिल गए और इनवॉयस बाद में जारी हुआ तो नए रेट
से टैक्स लगेगा।
एक इनवॉयस के गुड्स
किस्तों में मिलते हैं तो वह आखिरी किस्त मिलने के बाद क्रेडिट का दावा कर सकता
है। इनवॉयस जारी होने के 1 साल बाद क्रेडिट
क्लेम नहीं होगा। बिजनेस बेचने या विलय होने पर क्रेडिट ट्रांसफर होगा। अभी क्लेम
के लिए वक्त तय नहीं है। हालांकि एक साल का समय भी इस काम के लिए बहुत ज्यादा है।
किस्तों में मिलते हैं तो वह आखिरी किस्त मिलने के बाद क्रेडिट का दावा कर सकता
है। इनवॉयस जारी होने के 1 साल बाद क्रेडिट
क्लेम नहीं होगा। बिजनेस बेचने या विलय होने पर क्रेडिट ट्रांसफर होगा। अभी क्लेम
के लिए वक्त तय नहीं है। हालांकि एक साल का समय भी इस काम के लिए बहुत ज्यादा है।
अभी के नियम के तहत हर तिमाही रिटर्न फाइल करना पड़ता है। सप्लाई और डिलिवरी
हासिल करने वाले के मिलान की भी व्यवस्था नहीं है।
हासिल करने वाले के मिलान की भी व्यवस्था नहीं है।
GST के अंतर्गत हर महीने की बिक्री के बाद अगले महीने की 10 तारीख तक सप्लायर को इलेक्ट्रॉनिक रिटर्न
फाइल करना होगा। तय समय के भीतर इसमें अमेंडमेंट किया जा सकेगा। सालाना रिटर्न 31 दिसंबर तक जमा करना होगा। रजिस्ट्रेशन रद्द
हुआ तो रद्द होने के 3
महीने में फाइनल
रिटर्न देना होगा। तय तारीख तक रिटर्न न भरने पर रोजाना 100 रु. और मैक्जिमम 5,000 रु. जुर्माना लगेगा।
फाइल करना होगा। तय समय के भीतर इसमें अमेंडमेंट किया जा सकेगा। सालाना रिटर्न 31 दिसंबर तक जमा करना होगा। रजिस्ट्रेशन रद्द
हुआ तो रद्द होने के 3
महीने में फाइनल
रिटर्न देना होगा। तय तारीख तक रिटर्न न भरने पर रोजाना 100 रु. और मैक्जिमम 5,000 रु. जुर्माना लगेगा।
रिफंड के लिए दो साल
के भीतर अप्लाई किया जा सकता है। इनपुट टैक्स क्रेडिट का इस्तेमाल नहीं हुआ तो
उसका रिफंड भी क्लेम किया जा सकता है। रिफंड दो लाख रुपए से कम है तो बकाया रकम के
दस्तावेजी सबूत देने की जरूरत नहीं होगी।
के भीतर अप्लाई किया जा सकता है। इनपुट टैक्स क्रेडिट का इस्तेमाल नहीं हुआ तो
उसका रिफंड भी क्लेम किया जा सकता है। रिफंड दो लाख रुपए से कम है तो बकाया रकम के
दस्तावेजी सबूत देने की जरूरत नहीं होगी।
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