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फिर से गुलज़ार होगा धनबाद का ऐतिहासिक सिंदरी शहर , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खोलेंगे खाद कारखाने में लगा ताला ।

धनबाद ज़िले के सिंदरी शहर में स्थित खाद कारखाना पुन: खुलने वाला है । इस कारखाने के खुलने से निश्चिंत ही रोज़गार में काफि इज़ाफा होगा । सन् 2002 में घाटे में चल रहे सिंदरी खाद कारखाना को बंद कर दिया गया था ।

सिंदरी शहर, परिचय एवं अवलोकन 


सिंदरी धनबाद ज़िले का एक महत्वपुर्ण एवं ऐतिहासिक शहर है । धनबाद जिलें के मुख्य शहर से लगभग 22 कि0मी0 दुरी पर बसा यह शहर, पुरे भारत में देश के प्रथम उर्वरक कारखाने के लिए प्रसिद्ध है । इसके अलावा यह भारत के कई अन्य बड़ी कँपनियों के लिए भी प्रसिद्ध है जो यहाँ पर स्थापित हैं, इन कम्पनियों में से ACC Limited , IISCo और PDIL प्रमुख हैं ।

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 ACC Limited पहले Associated Cement Company Limited के नाम से जाना जाता था । IISCo इसका पुरा नाम Coal Mines of The Indian Iron and Steel Company Limited था, बाद में SAIL यानि के Steel Authority of India Limited में इसे पुरी तरह विलिन कर दिया गया ।

सिंदरी का स्थलाकृति महत्व दामोदर नदी के कारण बढ़ जाता है । मैथन और पंचेत से होकर गुजरने वाली दामोदर नदी सिंदरी से काफि निकट है । इस नदी से सिंदरी शहर की न केवल जलापुर्ती हो जाती बल्कि इस नदी पर स्थापित पनबिजली संयत्र दामोदर घाटी निगम से शहर को विधुत ऊर्जा भी प्राप्त होती है ।

इन्हीं खुबियों के कारण सिंदरी शहर को भारत के प्रथम उर्वरक कारखाने के लिए आदर्श स्थल के रुप में चुना गया था ।

शब्द साधन


सिंदरी शहर छोटा पर बहुत ही खुबसुरत शहर हुआ करता था, यहां की हरियाली और बाग-बगिचे प्राकृतिक देन थी । एक मान्यता ऐसी है कि सिंदरी नाम यहां के स्थानिय आदिवासियों के द्वारा रखा गया है जो यहां कई वर्षों पहले रहा करते थे । सिंदरी शब्द 'मुण्डारी शब्दावली' का हिस्सा है और इस शब्द का हिंदी अर्थ है 'सुंदरी', ।

यहां की मिट्टी लेटराइट वर्ग की है जिसका रंग लाल है । कुछ पुराने दस्तावेज़ों के अनुसार सिंदरी शब्द, सिंदुरी शब्द का विकृत रुप है । सिंदुरी शब्द सिंदुर से बना है जिसका अर्थ है लाल रंग का ।



इतिहास


कई वर्षों पुर्व सिंदरी आदिवासियों का आवास स्थान हुआ करता था और वे आदिवासी यहां के स्थानिय आदिवासी कहलाते थे परंतु इस जगह की सुंदरता ने पड़ोसी राज्य के कई लोगों आकर्षित किया । वर्ष 1944 के अंत में यहां औद्योगिकरण की एक नए अध्याय की शुरुआत हुई जब वायसराय की कार्यकारी परिषद की अगुआई में तीन सदस्यों की एक टीम ने, इसी साल नवम्बर महिनें में एक सिफारिश प्रस्तुत की जिसमें भौगोलिक स्थितियों की वजह से एक उर्वरक कारखाने के लिए इस स्थान को सबसे अच्छा विकल्प के रूप में चुना गया था । इस टीम में G S Gowing और J Rigg शामिल थे जिन्होनें इंपीरियल केमिकल इंडस्ट्रीज और एक बड़ा उर्वरक कारखाना स्थापित करने के लिए जिप्सम के साथ कच्चे माल के रूप में प्रति वर्ष 3,50,000 टन अमोनियम सल्फेट का उत्पादन करने के लिए ब्रिटिश रासायनिक संयंत्रों का निर्माण करने का प्रस्ताव रखा था ।

सन् 1945 में भारत सरकार द्वारा एक अलग परियोजना संगठन किया गया जिसका उद्देश्य था द्वैध शासन के स्थान पर स्वायत्तता का उदय करना, जिसके मुख्य तकनीकी सलाहकार थे ब्रिगेडियर एम0 एच0 कॉक्स । इसी के बाद कंपनी अधिनियम के तह्त दिसम्बर 1951 सिंदरी उर्वरक और रसायन लिमिटेड कंपनी की स्थापन की गई  और इस तहर भारत की प्रथम सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी अस्तित्व में आयी जो पुर्ण रुप से भारतीय सरकार द्वारा संचालित थी और इस पर भारतीय सरकार का पूर्ण स्वामित्व भी था और इस कारण यह घटना इतिहास के पन्नों में दर्ज़ हो गयी।

31 ऑक्टुबर 1951 को पहली बार इस कारखाने में अमोनिम सल्फेट रसायन के उत्पादन की शुरुआत हुई और मार्च 1952 को भारत के तत्कालिन प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरु ने इस कारखाने का उद्घाटन किया ।
प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरु ने उस वक्त अपने भाषण में कहा था कि वह केवल एक उर्वरक कारखाने उद्घाटन नहीं कर रहे है बल्कि आधुनिक भारत के नये मंदिर का उद्घाटन कर रहें है ।

सन् 1959 में भारतीय सरकार द्वारा एक और बड़ी कम्पनी की स्थापना कि गई जिसका नाम था हिंदुस्तान केमिकल एडं फर्टीलाईज़र लिमिटेड, जिसमें जनवरी सन् 1961 को सिंदरी उर्वरक और रसायन लिमिटेड कंपनी का विलय कर दिया गया और भारत की सबसे बड़ी केमिकल एंड फर्टीलाईज़र कंपनी का गठन हुआ और इसका नाम था फर्टीलाईज़र कॉरपोरेश ऑफ इंडिया ।

स्थानिय विवरण


इतनी बड़ी कम्पनी को चलानें लिए कई कर्मचारियों और मज़दुरों की आवश्यकता थी इसलिए यह क्ष्रेत्र रोज़गार की दृष्टिकोण से भी महत्वपुर्ण हो गया । इस स्थान को एक सुनियोजित शहर के रुप में विकसित किया गया, सुप्रसिद्ध इंजीनिरींग कॉलेज बिरसा प्रौद्योगिकी संस्थान (बीआईटी - बिरसा इंस्टीच्युट ऑफ टेक्नोलॉजी) भी यहीं स्थित है, इसकी स्थापना सन् 1949 में की गयी थी इसका पुराना नाम बिहार प्रौद्योगिकी संस्थान था परंतु झारख़ण्ड राज्य के गठन के बाद इसका नाम परिवर्तित कर दिया गया ।

अभीनेत्री मिनाक्षी शेषाद्री का जन्म 1961 में सिंदरी के अयंगर परिवार में हुआ था। मिनाक्षी शेषाद्री ने 1981 में मिस इंडिया का खिताब भी जीता था और इसके बाद उन्होंने में मुम्बई फिल्म इंडस्टीज़ में कदम रखा और अभिनय दुनिया में खुब नाम कमाया । हीरो (1983), औरत तेरी यही कहानी (1988) दामिनी (1993), घर परिवार उनकी बहु प्रचलीत फिल्में है जिसमें उन्होंने अपने दमदार अभीनय से लोंगो दिल जीत लिया ।

सन् 2002 में घाटे में चल रहे सिंदरी खाद कारखाना को बंद कर दिया गया । सिंदरी खाद कारखाना को बंद करने के पश्चात इस शहर की देख रेख पहले जैसी नहीं रह गई । सड़को की हालत अब उस स्तर की नहीं है, परंतु धनबाद-चंद्रपुरा डी0 सी रेलमार्ग के बंद होने और धनबाद-बोकारो- राँची मुख्य मार्ग में तेलमच्चों पुल की स्थिति खराब होने के वजह से धनबाद-बोकारो- राँची की आवागमन के लिए अच्छा विक्लप बन गया है जिस वजह से सड़कों की मरम्मत की जाने लगी है ।

अंत में 


केंद्र और राज्य सरकार की कोशिशों से इसे फिर से शुरू किया जा रहा है और उम्मीद है कि 5000 से भी ज्यादा लोगों को रोज़गार मिलेगा । सिंदरी खाद कारखाना को एनटीपीसी, कोल इंडिया, एफसीआई, ओएनजीसी, आईओसी के ज्वाइंट वेंचर से शुरू किया जा रहा है. ये कारखाना गैस आधारित है, जिससे करीब 12 लाख 70 हजार मीट्रिक टन खाद का उत्पादन किया जाएगा. 2018 तक गैस पाइपलाइन बिछा लिया जाएगा । अब बस इंतजार है उस पल का जब पीएम मोदी और सीएम रघुवर के हाथों इस खाद कारखाने में लगा ताला हमेशा के लिये खुल जाएगा । सरकार के इस कदम से धनबाद का ऐतिहासिक शहर सिंदरी फिर से गुलज़ार हो उठेगा ।

Read in english
Ruins of Doisagarh enumerated in World Heritage but remained untouched and alone.

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