भारत को मिली रक्षा क्षेत्र में बड़ी कामयाबी।
भारत को रक्षा क्षेत्र में बड़ी कामयाबी मिली है। बुधवार को सुखोई फाइटर प्लेन से ब्रह्मोस मिसाइल को फायर करने का टेस्ट सफल रहा है। इस टेस्ट के लिए हल्के ब्रह्मोस मिसाइल का प्रयोग किया गया, जिसका वजन 2.4 टन था, जबकि असल में इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का वजन 2.9 टन होता है।
सुखोई और ब्रह्मोस की जोड़ी बनी 'डेडली कॉम्बिनेशन'। |
सुखोई और ब्रह्मोस की जोड़ी 'डेडली कॉम्बिनेशन'।
ये टेस्ट बालासोर टेस्ट फायर रेंज के ऊपर किया गया। दो इंजन वाले सुखोई-30 MKI फाइटर जेट से ये टेस्ट किया गया। सुखोई और ब्रह्मोस की जोड़ी को 'डेडली कॉम्बिनेशन' के तौर पर देखा जा रहा है। बता दें, ब्रह्मोस मिसाइल आवाज की गति से करीब तीन गुना अधिक गति से हमला करने में सक्षम है।
सुखोई पहले से ही इंडियन एयरफोर्स की ताकत में चार चांद लगाता रहा है। इस मिसाइल के साथ सफल टेस्ट के बाद ये हमारे देश की आर्मी को और ताकत देगा। ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। ये कम ऊंचाई पर उड़ान भरती है इसलिए रडार की पकड़ में नहीं आती। ब्रह्मोस का 12 जून, 2001 को सफल लॉन्च किया गया था। इसका नाम भारत और रूस की नदियों को मिलाकर रखा गया है। भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मस्कवा नदी पर इसका नाम रखा गया है।
एमटीसीआर की सदस्यता मिलने के बाद भारत 300 किलोमीटर की रेंज वाली मिसाइलों को तैयार करने में सक्षम होगा। फिलहाल ब्रह्मोस मिसाइल के हाइपरसोनिक वर्जन यानि ध्वनि से पांच गुना तेज रफ्तार (माक 5) को तैयार करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं और ब्रह्मोस को सुखोई से दागने की यह कवायद इस सिलसिले में देखी जा रही है।
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पोस्ट पढनें के लिए धन्यवाद।
सौजन्य: NEWS TODAY.......17
विशेष धन्यवाद: श्री सोहन विश्वकर्मा।
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